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29 Jan 2023 · 1 min read

विचारमंच ✍️✍️✍️

कभी खामोश और सरगोशियों से घिर जाता है दिल !
गुजरे पर काबू नहीं और आती को रोकें कैसे??(1)

मर्जी और मर्ज का इलाज लम्बा चल सकता है ! खुदगर्जी और कर्ज का इनमें बोझ होता है|(2)

जमाना और जमीन में चलते कदम मजबूत रखना!
यहाँ की हवा का रूख कभी भी बदल जाता है||(3)

वकालत कर हावी मत होना इस नशेमन में|
यहाँ बस मैं तेरे चर्चे का ही नशा करता हूँ ||(4)

कुछ भूलाने की दवा हो तो इधर भेज देना|
यादों और ख्यालों में चेहरा तेरा ,मुझे तो घर में आईना नजर नहीं आता||(5)

समझ नहीं आता कि समझाऊँ या समझूँ?
वह धता बता जाती और मैं जता नहीं पाता|(6)

इंतजार का भी जार होता है, वफाओं का भी भार होता है|
इतना न सताती बैचैनी दिल को हर दिल का दिलदार होता है|(7)

जरुरत हो तो तलब करके मंगा लेना मुसीबत को|
मुहब्बत दर्द, तन्हाई जुदाई का समुन्दर है||(8)

रुको !सुनो ! अच्छा! चुप हो क्या?
खैर जाओ! सुना है इश्क करते हो!(9)

दुनियाँ फतह करने की जुर्रत क्या जरूरत क्या?
फ़क़त दिल लगा बैठो , वक्त गुजरता कितना तेज?(10)
क्रमश:

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