Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Jan 2022 · 1 min read

मायका ~~

सजकर लाल जोड़े में,
लगाकर माथे पर बिंदी,
साथ में है वो साजन के,
चलती,ठहरती, सहमती सी,
पैरों में जैसे बंधी हो बेड़ी,
पग पग चलना अब भारी था,
सर से पल्लू सरक रहा हाय,
अश्रु सैलाब जारी था,
कांप रहे होंठ,कुछ कहने को,
पीछे मुड़ मुड़ निहारे थी,
माँ, बापू सब छूट रहे,अभागी,
वो ,किस्मत से हारे थी,
लाडली बापू की, माँ का था मिला दुलार,
बचपन की सारी यादें, छोड़ चली वो घर का द्वार,
अब है किसी और की, पर,
कैसे छोड़े साथ उस साये का,
जिसने हर दम साथ दिया,
वो उसका अपना …मायका ।

◆◆©ऋषि सिंह “गूंज”

Loading...