Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Jan 2022 · 1 min read

क्या दौर है

***** क्या दौर है *****
*******************

भला ये भी क्या दौर है,
किसी पर भी ना जोर है।

पता था बाहर कौन है,
सुना पायल का शोर है।

नज़र आया पर मौन है,
दिखा जंगल में मोर है।

गगन में छाये मेघ हैं,
घटा छाई घन घोर है।

चला मनसीरत राह पर,
बहुत दूरी पर छोर है।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Loading...