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24 Dec 2021 · 1 min read

जिन्दगी

क्रिसमस ट्री जैसी सजी है जिन्दगी
कभी मुस्कराती दिखी है जिन्दगी

जब मिला है प्यार अपने लोगों से
पुष्प जैसी खिल उठी है जिन्दगी

मनुहार मिली है प्रियवर की जब
बाँध पायल नाचती रही है जिन्दगी

बहा है झरना नैन से आँसूओं का
छिपा मुँह सिसक उठी है जिन्दगी

रंग सतरंगी दिखा कर भी लुभाती है
दुख के बाद सुख लुटा रही है जिन्दगी

मन के सूने आँगन में राग जगा कर
मन उपवन खिलखिला रही है जिन्दगी

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