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24 Nov 2021 · 2 min read

दृष्टिकोण

✒️?जीवन की पाठशाला ?️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब भी दिल से अपने जज्बात लिखने चाहे कुछ लोगों ने पढ़ा -सराहा और कुछेक ने बजाय उन जज्बातों के मर्म को समझने के उन्हें भी नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा और एक शांत पानी में पत्थर उछाल कर पानी को अशांत कर दिया ….फ़र्क़ सोच का -फ़र्क़ पढने और समझने का …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की गलत समय में गलत आरोपों का लगना -सही बात को भी गलत समझना कोई नई बात नहीं है ,समय का चक्र तो चाँद सूरज को भी ग्रहण लगाने से नहीं चूकता ,हम तो फिर भी इंसान हैं …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की सकारात्मक और ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने वाला व्यक्ति आपकी ख़ामोशी -आपकी आँखों की मूक भाषा को भी पढ़ लेगा -समझ लेगा ,और जो नकारात्मक व्यक्ति है उसे केवल आपके शब्दों – वाक्यों का इंतजार रहेगा और उस पर भी वो आपको समझ पाए कोई जरूरी नहीं क्यूंकि उनको केवल वो सुनना होता है जो वो सुनना चाहते हैं …

आखिर में एक ही बात समझ आई की कई बार जिंदगी इतने जख्म देती है की लगता है इस जिंदगी का कत्ल कर दिया जाए लेकिन फिर वहीँ अगले पल ये ख्याल आता है की इसका कत्ल करने के बाद जो भी गलत दाग -आरोप लगे हैं वो सामाजिक तौर पर सही साबित हो जायेंगें ,इसलिए फिर एक हौसला -उम्मीद जाग्रत होती है की चल खेल जिंदगी -कितना खेलेगी ,कभी तो तू भी थक के आउट होगी ,फिर हम खेलेंगें तेरे साथ और सुन जिंदगी ये ग़लतफ़हमी दूर कर दे की तू खेल रही है ,ये समय है जो तुझे जीता रहा है ,आकर बैठने दे समय को मेरे पाले में ..फिर देखते हैं …!

बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान

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