Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2022 · 1 min read

आत्महत्या

बेश कीमती जिंदगी की अमूल्य साँसें ,
यूँ मत उखाड़ ।
कहते हैं पापों में पाप
आत्महत्या यानि महापाप
मत बन इसका भागीदार
सत् (आत्मा ) और साहस ( शरीर )
मत खो, जीवन मुकाम ।
अपने लिए नहीं तो अपनों के लिए जीना है।
जीने की ललक ,हरहाल में रख ।
गुजर जाएगा ये संघर्ष पल।
यहाँ कौन जिंदगी अखण्ड सौगात है ।
मरना है एक – दिन सबको हरहाल ।
यहाँ तो जीने में जहर (द्वंद ) है, साँसों का पहर (अमृत ) हैं।
फिर ये आत्महत्या क्यों
यूँ ही जिंदगी मिटा देना।
भूला देंगे तुझे सब ,
पर जिसके थे तुम ।
तेरी आत्महत्या उसे हर पल खलेगा।
शूल सा चूमेगा ।
देख अपनों को मुश्किलें बता
यूँ ही जिंदगी मत उजाड़ ।
देख तू पूर्वजों को,
नहीं तो देख उन अवतारों (राम, कृष्‍ण ) को
क्या उनका जीवन सरल था।
अपने कर्मों , संघर्ष में अडिग रहे ।
तभी तो पाये सार ।
बेशक बेशकीमती हैं जिंदगी ,
यूँ मत अपने को मार ।
आत्महत्या नासूर हैं ।
जीने वालों को देता है , आघात
_ डॉ . सीमा कुमारी, बिहार (भागलपुर ) दिनांक- 15-8-020, स्वरचित कविता , जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ ।

Language: Hindi
423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
प्रेम करना हमेशा से सरल ही रहा है,कुछ कठिन रहा है
प्रेम करना हमेशा से सरल ही रहा है,कुछ कठिन रहा है
पूर्वार्थ
पाक-चाहत
पाक-चाहत
Shyam Sundar Subramanian
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
Ravi Prakash
स्वयं को बचाकर
स्वयं को बचाकर
surenderpal vaidya
भाई दूज
भाई दूज
Santosh kumar Miri
सरस्वती वंदना -रचनाकार :अरविंद भारद्वाज, रेवाड़ी हरियाणा
सरस्वती वंदना -रचनाकार :अरविंद भारद्वाज, रेवाड़ी हरियाणा
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
तुम आंखें बंद कर लेना....!
तुम आंखें बंद कर लेना....!
VEDANTA PATEL
मेरे फितरत में ही नहीं है
मेरे फितरत में ही नहीं है
नेताम आर सी
शैक्षिक सर्जरी, स्कूलों पर 33 लाख का जुर्माना
शैक्षिक सर्जरी, स्कूलों पर 33 लाख का जुर्माना
अरशद रसूल बदायूंनी
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
अ आ
अ आ
*प्रणय प्रभात*
एक गुजारिश तुझसे है
एक गुजारिश तुझसे है
Buddha Prakash
हम सभी नक्षत्रों को मानते हैं।
हम सभी नक्षत्रों को मानते हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
दुनिया के सभी देश , में भाता है ये भारत
दुनिया के सभी देश , में भाता है ये भारत
Neelofar Khan
हवस में पड़ा एक व्यभिचारी।
हवस में पड़ा एक व्यभिचारी।
Rj Anand Prajapati
बरगद एक लगाइए
बरगद एक लगाइए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
सोच समझकर बोल - कुण्डलिया
सोच समझकर बोल - कुण्डलिया
Ram kishor Pathak
खालीपन
खालीपन
ARPANA singh
वाणी
वाणी
Vishnu Prasad 'panchotiya'
सात जनम की गाँठ का,
सात जनम की गाँठ का,
sushil sarna
नववर्ष (व्यंग्य गीत )
नववर्ष (व्यंग्य गीत )
Rajesh Kumar Kaurav
हम अपनी बदनसीबी पर रोएं भी तो कितना
हम अपनी बदनसीबी पर रोएं भी तो कितना
Shweta Soni
मुझे विज्ञान से प्यार था .
मुझे विज्ञान से प्यार था .
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ज़माने से खफा एक इंसान
ज़माने से खफा एक इंसान
ओनिका सेतिया 'अनु '
चालाकियों से काम जरूर चल जाते हैं मगर रिश्ते नहीं..!
चालाकियों से काम जरूर चल जाते हैं मगर रिश्ते नहीं..!
Iamalpu9492
*कलयुग*
*कलयुग*
Vaishaligoel
अभी क्या करना है? मरना है कि कर गुज़रना है? रोना है कि बीज ब
अभी क्या करना है? मरना है कि कर गुज़रना है? रोना है कि बीज ब
पूर्वार्थ देव
ये जो
ये जो
हिमांशु Kulshrestha
नज़रें बयां करती हैं, लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं, लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
Loading...