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24 Nov 2021 · 1 min read

हर कदम हर मोड़ पर हम, हाथ थामें हीं चलेंगे..!!

आपको होने न देंगे
जिन्दगी में हम पराजित
हर कदम हर मोड़ पर हम
हाथ थामे हीं चलेंगे।।

आपका सम्मान रक्षण, जिन्दगी का एक मकसद।
ईश के संमुख हमेशा, वंदगी का एक मकसद।
आप ही को कर दिया है, सद्य यह जीवन समर्पित।
वेदनाएं धार कर अब, सुख तुम्हें प्राणेश अर्पित।

यंत्रणा में डूब कर भी
हर व्यथा को बाँध पल्लू,
जो अनल विधि हाथ आये
सङ्ग ही उसमें जलेंगे।
हर कदम हर मोड़ पर हम
हाथ थामें ही चलेंगे।।

है नहीं अभिलाष कोई, मान यश पद की न इच्छा।
साथ तेरा हो सदा बस, मैं करूँ तेरी प्रतिक्षा।
हार हो या जीत साथी, सङ्ग ही गाया करेंगे।
हो कुपित दिनकर यदि हम, पल्लू से छाया करेंगे।

सूर्य तेरे भाग्य का जब
अस्त होने को चला तब,
या ढ़ले प्रतिमान जब भी
सङ्ग ही हम भी ढलेंगे।
हर कदम हर हर मोड़ पर हम
हाथ थामे ही चलेंगे।।

प्रस्फुटित यदि वक्ष से जो, हो रहे हों हार के स्वर।
ईश के पग लोट कर हम, माँग लेंगे जीत का वर।
गर्जना जब भी करेगा, भाग्य पर दुर्भाग्य का घन।
विघ्न – बाधा से लड़़ेंगे, टूटने देंगे नही मन।

हिम महीधर सा कभी भी
जब गला अस्तित्व तेरा,
प्रण रहा अनुरक्ति का यह
सङ्ग ही तेरे गलेंगे।
हर कदम हर मोड़ पर हम
हाथ थामें ही चलेंगे।।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिम चम्पारण, बिहार

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