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15 Nov 2021 · 1 min read

पर्यावरण

पर्यावरण पर दोहे
**************

झारखण्ड की क्या कहूँ ,बढ़ती जाती पीर।
जल-थल दूषित हो गए, बात बड़ी गंभीर।।

पंछी बेघर हो गए, बैठे नदिया तीर।
ताक रहे सब गगन को, कौन हरेगा पीर?

मानव ने शोषण किया, बनकर भू अभिशाप।
भौतिकवादी सोच से, बढ़ा जगत संताप।।

वायु में विष घोल कर,किया मलिन व्यवहार।
जीवन संकट में पड़ा, कौन करे उपचार?

सुबक-सुबक धरती करे , व्याकुल मौन विलाप।
शुद्ध नहीं पर्यावरण, मानव है चुपचाप।।

पौधों का रोपण करो, जीवन का आधार।
हरिताभा छाई रहे, काटो रोग विकार।।

शुद्ध रहे पर्यावरण, जीव न हों बेहाल।
जीवन में आमोद हो, सब जन हों खुशहाल।।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 489 Views
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