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14 Nov 2021 · 1 min read

यह संसार आत्माओं का मेला है

एक परिन्दा
कहीं बैठा हुआ
उड़ा
उड़ता हुआ
कहीं बैठा
आत्मा भी उड़ती है
ऐसे ही पुराना शरीर
छोड़कर और
बैठती है
प्रवेश करती है
धारण करती है
नये शरीर को
यह संसार आत्माओं का
मेला है
कुछ भी नश्वर नहीं यहां
बस नये सांचे में ढले नये रूप को
पहचानना कठिन है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

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