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13 Nov 2021 · 1 min read

यकीनन बहुत भाव खाने लगे है

यकीनन बहुत भाव खाने लगे हैं
जिन्हें आजकल हम मनाने लगे हैं

जिन्हें दिल दिया चैन पाने की ख़ातिर
वही अब मुसलसल सताने लगे हैं

समुंदर के माफिक मुझे वे रुलाकर
मुहब्बत की रस्में निभाने लगे हैं

मुझे बेवफ़ाई का इल्ज़ाम देकर
किसी और से दिल लगाने लगे हैं

किया प्यार ‘आकाश’ दोनों ने लेकिन
मैं तड़पा हूँ वे मुस्कुराने लगे हैं

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 11/11/2021

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