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4 Nov 2021 · 1 min read

शून्य

कुछ वर्षों का ही
इतिहास है हमारे पास
जब कि
यह धरती हज़ारों हज़ार वर्ष पुरानी है
और यह अम्बर
अनगिनत गिनतियों के आंकड़े से पार का।

हमें ज्ञात नहीं कि-
कभी सप्ताह भर के दिन थे
हफ़्ते बराबर रातें
महीनें भर के सप्ताह
और वर्ष बराबर महीने
सदियों का वर्ष
और सहस्त्राब्दियों का
जीवन
तब हम जीते थे
एक लम्बी आयु
जो अब नहीं है ।।

हमें ज्ञात नहीं कि-
कभी सूरज अपनी चमक से सौ गुना चमकदार था,और
चाँद स्वयं चमकता था
तारे बड़े और बहुत बड़े थे
और बहुत बड़ा था
हमारा यह ब्रह्माण्ड ।

चाँद, सूरज, तारे, पृथ्वी
ग्रह-उपग्रह
समस्त पिघलते जा रहे हैं
धीरे-धीरे
ग्लेशियर की तरह
अपने ही तेज
या तिमिर की अग्नि में
और गलते ही जायेंगे
क्यों कि-
धीरे-धीरे एक दिन
गलकर सब को
‘शून्य’ होना है।।
*****

सरफ़राज़ अहमद “आसी”

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