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25 May 2024 · 1 min read

अनकहा दर्द (कविता)

अनकहा दर्द

अपनी आंखों का दर्द छुपा कर
हंसती रहती हूं मैं
की दर्द में भी फूल खिलाना चाहती हूं मैं दर्द दोस्ती का छिपा है दिल में
टूटी है विश्वास की माला
फिर भी तारे जमीन पर लाकर
इस दोस्ती में जीना चाहती हूं मैं
दोस्ती तो नगमा है जीवन का जिंदगी के हर मोड़ पर गुनगुनाना चाहती हूं मैं भरोसा तुम पर ना कर पाए तो क्या इंतजार का इतिहास बदलना चाहती हूं मैं चाहती हूं सिर्फ तेरी दोस्ती का
आखरी सांस तक करना इंतजार
तेरी यादों के सहारे जीना
तेरी दोस्ती को सीने में दबा कर
तेरी दोस्ती के नागमो के साथ मरना

Language: Hindi
294 Views
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