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15 Oct 2021 · 1 min read

दहन अगर करना ही है तो

दहन अगर करना ही है तो, अहंकार रूपी रावण का दहन करो।
दहन अगर करना ही है तो, काम रूपी मेघनाद का दहन करो।
दहन अगर करना ही है तो,मोह रूपी कुंभकरण का दहन करो।
अहंकार काम मोह, तीनों बंधन कारी हैं
मानस मन के रोग, तीनों महा विकारी हैं
जब तक तीनों जिंदा हैं, मुक्ति नहीं संभव है
जब तक शमन नहीं होगा, विजया दशमी असंभव है
अंतस की विजया दशमी मनाओ,पार विकारों पर पाओ
साफ करें अंतर्मन अपना,पाले हुए विकार जलाओ

आप सभी को विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं बधाई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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