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10 Oct 2021 · 1 min read

मन

।।मन।।

कुछ पल फुरसत के निकालो तो सही,
पल दो पल पास बैठो तो सही।
कुछ शिकवों का उधार कर लेंगे,
कुछ का नकद हिसाब कर देंगे,
अपने मन की दुकान खोलो तो सही।
वक़्त ख़र्च हो चुका है, बहुत दुनिया दारी में,
जो बचा है, उसको सुकून से मिलकर गुज़ारो तो सही।
कौन कहता के सब कुछ छोड़ आओ, सब कुछ भूल जाओ मगर,
अपने रिश्ते की गहराई को समझो तो सही।

– रुचि शर्मा

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