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19 Sep 2021 · 1 min read

दोहे

भरी जवानी में लगा, शुगर वाला रोग।
रहना है यदि स्वस्थ्य तो, करते रहिए योग।।

निंदक से नजदीकियांँ, चापलूस से दूर।
जीवन का यह मंत्र लो, सुखी रहो भरपूर।3।

निंदक साबुन सम सखे, रखिए हर-पल पास।
दुर्गुण अपने आप हीं, हो जाएंँगे नाश।।

निंदक नैन समान हैं, दुर्गुण लेते खोज।
शुभचिंतक सम मानकर, पाँव पखारो रोज।।

चंचल मन अरु चंचला, पल-पल बदलें ठौर।
चितवत है चारो तरफ, जिसके मन में चौर।।

चंचल मन की चाकरी, जो करते दिन-रात।
जीवन भर दुख भोगते, होती उनकी मात।।

#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’

Language: Hindi
1 Comment · 301 Views

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