आज़ाद गज़ल
बेसिर-पैर की बात मत करना
दिन को कभी रात मत कहना।
रुसबा न हो जाए प्यार तुझ से
घर के मुश्किलात मत कहना ।
दिल तो पागल है समझेगा नहीं
उसे अपनी ज़ज्बात मत कहना ।
सबको मिलता है कहाँ सबकुछ
सबके भले की बात मत करना।
देख अजय अगर तू है समझदार।
गज़लों को आज़ाद मत कहना।
-अजय प्रसाद