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1 Aug 2021 · 1 min read

भाग्य लेख : एक पहेली

भाग्य लेख को ना कभी हम पढ़ पाए ,
क्या मंजूर है इसे कुछ समझ न पाए।

ज्योतिषियों के घर भी चक्कर लगाए,
वो भी हमारे भाग्य लेख को पढ़ ना पाए ।

लगभग ७५ ज्योतिषियों को अजमाया ,
सबने अपना भिन्न भिन्न उपाय बताए।

कई टोटके और दान पुण्य करवाए गए ,
कालसर्प योग/ग्रह शांति पाठ करवाए।

मंदिरों में जा कर पंडितों से हवन ,
और बाद में चढ़ावे भी बहुत चढ़वाये ।

अनेकों उपायों करने के बाद भी ??,
हे भगवान ! अब और क्या है उपाय ?

सोचा अब चलो स्वयं उसे प्रसन्न करें,
हमने कई व्रत अनुष्ठान भी शुरू किए।

देवी देवताओं को खुश करने को ,
उनके मनपसंद मिष्ठान भी बंटवाए।

अब तो हद हो गई ,इतना कुछ करने से ,
भई ! हम बाज़ आए , अब तो थक गए ।

छोड़ दिया ज्योतिषियों के घर का फेरा,
जन्म पत्री को यमुना जी में बहा आए।

मंदिरों में देवी देवताओं को प्रसन्न करना,
और पंडितों के पेट भरने भी छोड़ दिए ।

श्री कृष्ण भगवान की भागवत गीता पढ़ी,
और हम निष्काम कर्म पथ पर उतर आए।

तब से अब तक न कोई चाह है ना तड़प,
जीवन नैया को उसके सहारे छोड़ आए।

यह तो पिछले जन्म का प्रारब्ध है भाई!,
कर्मो से बने भाग्य को कौन बदल पाए ।

जीवन के सांध्यकाल पर आकर ही हम ,
असली जीवन के उदेश्यों को समझ पाए।

यही सोचकर की अब जन्म तो खत्म हुआ,
अब अगले जन्म के लिए उपाय किए जाए।

सुकर्म और भगवान की आराधना में ही ,
अब शेष जीवन अर्पण कर दिया जाए।

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