आज़ाद गज़ल
अरे!ऐब नहीं कोई हुनर ढूंढ
खुद को खुद के अन्दर ढूंढ।
कब तक रहेगा प्यासा यार
सहरा। में ही तू समंदर ढूंढ ।
आईने के वहकावे में मत आ
अक़्स के मुताबिक उमर ढूंढ।
चल,उठ फ़िर से होजा तैयार
कामयाबी के लिए सफ़र ढूंढ।
सोंच मत अब लोग क्या कहेंगे
बस एक हौसले की नज़र ढूंढ।
-अजय प्रसाद