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8 Jul 2021 · 1 min read

न जागी हूँ न सोई हूँ....

एक मुक्तक….
1222 1222 1222 1222

न जागी हूँ न सोई हूँ, पड़ी हूँ बस उनींदी- सी।
तुम्हें ही सोचती हरपल, लिए आँखें पनीली- सी।
तुम्हारी याद भी क्या है, नहीं सुनती जरा भी तो,
हमारी राह रोके ये, खड़ी कबसे हठीली- सी।

– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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