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4 Jul 2021 · 1 min read

पति बेचारे

अपने मायके आ गयी हूँ,
अभी कुछ माह यहीं रहूँगी !
मिलना-जुलना बंद,
अंटशंट पर चाक-चौबंद !
यही तो है अभिशप्त प्रेम,
केम छो, छो केम !
मशविरे भी फोन पर,
देह गयी लोन पर !
तरसते रहो प्यारे,
पति बेचारे !

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