सुख दुख
सुख-दुख लगे हुए जीवन में, जैसे दिन और रात
आते जाते रहते हैं, क्रम से जीवन के साथ
रात दिन लगा हुआ जीवन में, घर गृहस्थी का काम
पल दो पल का ध्यान लगा लो, ले लो हरि का नाम
नहीं ठहरता कुछ भी जग में, जैसे सुबह और शाम
रुकता नहीं समय का पहिया, चलने का है काम
चलते रहना साथ समय के, यही मनुज का काम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी