Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Jun 2021 · 1 min read

-हादसा

जीवन के एक पड़ाव में
ऐसा हादसा हुआ,
आंखें खोली तो देखा मैं बिस्तर में पड़ा,
एक हाथ घायल,सिर पर कुछ जख्म,
रूह कांप गई कि ये हादसा कैसे हुआ?

ना आदत थी आराम करने की,
इस आदत से विकल मन
नयनों ने आंसू बहाया,
रूह कांप गई कि ये हादसा कैसे हुआ?

आराम थोड़ा आया एक दिन मेरे आत्मा ने मुझे चेताया,
हादसे ही इंसान को मजबूत बनाते हैं,
कुछ कर लेटे हुए
जो तेरे अंदर छुपा है हुनर,
अपनी एक पहचान ला
हादसे को वरदान बना,
आत्मा की बात सुन
मैंने अपनी कलम को उठाया
उपन्यास लिख इतिहास बनाया,
काव्य रचकर कवयित्री कहलवाया।
हादसे ने मुझे अपने आप से रूबरू कराया।।
– सीमा गुप्ता,अलवर

Loading...