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12 Jun 2021 · 2 min read

आओ इश्को करम की बात करें, आओ तेरे सनम की बात करें।

आओ इश्को करम की बात करें।
आओ तेरे सनम की की बात करें।

जिस्म जिसपर शबाब छाया है।
बकौल तेरे रुआब आया है।
आंखों में जिसके दो जहाँ तेरे।
रूख़ पे जिसके गुलाब आया है।
जिसके होठों पे मय थिरकती है।
आज कोयल सी जो चहकती है।
आज यह दिलफ़रेब चेहरा जो।
तेरे जेहन पे खूब छाया है।
ये बदन जब जहाँ में आया था।
शमा कुछ और ही नुमायाँ था।
कई दिल टूटे कई बिखरे थे।
मां की खातिर नए कुछ फिकरे थे।
खुश तो थे मगर न थे ऐसे।
बेटा होने पे जिस तरह होते।
मैं भी उनके बदन का हिस्सा थी।
नन्ही सी मैं भी इक फरिश्ता थी।
पैसे जिनसे मिठाई आनी थी।
महफ़िल जिनसे सजाई जानी थी।
ख़र्च वो हो गए बचाने में।
पैदा होते दहेज खाने में।
एक एक सिक्का जोड़ते बैठे।
उम्र भर रिश्ता खोजते बैठे।

आओ मुझसे रकम की बात करें।
आओ तेरे सनम की बात करें।

राह चलते नज़र उठाते हैं।
जिस्म पर हर कहीं गड़ाते हैं।
कहीं एक पूंछ जैसे हिलती है।
न दिखे लार पर टपकती है।
अच्छे खासे हैं जवां मर्द मगर।
याद वो जानवर दिलाते हैं।
देखा है जितनी बार सोचा है।
उसने ख्वाबों में हमको भोगा है।
ख़्याल में वो हमें ले जाते हैं।
दिल को ऐसे भी वो बहलाते हैं।
टूटता है बदन पिघलता है।
एक लावा सा दिल में बहता है।
अपना घर भी नहीं सुरक्षित है।
बारहा दिल ये हमसे कहता है।
रिश्ते देखे हैं तार तार यहाँ।
सारे नाते हुए बदकार यहाँ।
जब भी मौका मिले उठाते हैं।
नोंचते कमसिनों को खाते हैं।
अपने घर में भी कोई लड़की है।
जाने कैसे वो भूल जाते हैं।

आओ उनके हरम की बात करें।
आओ तेरे सनम की बात करें।

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