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9 Jun 2021 · 1 min read

वही चौखट वही घर

वही चौखट वही घर (गजल)
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*** 1222 1222 122 ***
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वही चौखट वही दर है हमारा,
वही खूंटा वही घर है हमारा।

उदय हो गम भरा चाहे सवेरा,
सदा ऊँचा रहा सर है हमारा।

शमा से हो सजा सारा बनेरा,
मिले जो वो हुआ हर है हमारा।

परायों से कभी डरते नहीं है,
डराता ही बड़ा डर है हमारा।

दिखाये है बहुत स्वप्न बहारें,
उड़ाता ही कहाँ पर है हमारा।

गुलों ने दूर मनसीरत भगाया,
वफ़ा में ही हुआ मर है हमारा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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