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29 May 2021 · 1 min read

दोहा

देख किसानी बिल जरा,चर्चे में सरकार।
दिल्ली में बैठे अडिग, बिल से पड़ी दरार।।1

पाप पुण्य का भेद कर,फैलाओ तुम ज्ञान।
संचय करके पुण्य का,दूर करो अभिमान।।2

पंचों से मिलकर बना,अपना ये सरपंच।
अधिकारों के नाम पर,करता ये परपंच।।3

आधुनिक शौक जो करे,ले अपनो से रार।
बंदिशे सारी तोड़कर,करे खूब तकरार।।4

प्रियतम मैं ना आ सका,इस सावन में गाँव।
बना रहे प्रेम सदैव,माँ आँचल का छाँव।।5

गणेश नाथ तिवारी”विनायक”

Language: Hindi
453 Views

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