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25 May 2021 · 1 min read

कश

मैं नहीं जानता मुझे क्या चाहिए और शायद क्यों चाहिए असल में वो मुझे बेहद पसंद है पर उसे मैं साथ नहीं रखता और न रख सकता क्योंकि मुझे उसके धूंए से नफरत है पर हाथ से चुटकी बजाते हुए राख झटकना या धूंए के गोल गोल छल्ले बनाते हुए लंबी कश खींचना कहीं अधिक प्रिय है।सिगरेट को अलग अलग शैली में होठों पर फिराना या दो उंगलियों में बार बार बदलना फिर कभी गोल मुंह से तो कभी बंद होठों के दायें किनारे से धूंए को बाहर उड़ेलना एक मंझे हुए लेखक या कलाकार के समतुल्य लगता है लेकिन जिस दिन कभी कोई खुशी उमंग की बात होगी तो शायद मैं ये सब कम से कम एक बार करना चाहूंगा।कर अभी भी सकता हूं पर अभी उससे इतनी आत्मीयता के साथ साथ करीबी भी नहीं और इतना खास मौका भी नहीं।ये जीवन का अभूतपूर्व क्षण होगा जिसका वेचैनी से इंतज़ार भी है सुना था सिगरेट से हाथ के साथ साथ होठ स्याह हो जाते है पर एक आध बार पीने से शायद ऐसा नहीं होता होगा बहरहाल मुझे जान क्यों पसंद है एक अप्रिय सोच जो कभी कबार संग होती हुई मुझमें घर कर जाती है आज भी फिर कुछ ऐसा ही है।

मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 547 Views

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