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25 May 2021 · 1 min read

सुकून भरी चाय!

सुकून भरी चाय..
अब तक ..ना पी पाये!

शीतल हवा..
सपनों सा झरना
हंसती सी शाखो का
अपना सा लगना..
माथे की सिलवट
जीवन उलझाए
सुकून भरी चाय…
अब तक ना पी पाये!!

जख्मी सहजता का
अंतिम पड़ाव
सिलते लबों का
अधूरा रिसाव
चाय भरा कप
छलक छलक जाये!
सुकून भरी चाय
अब तक ना पी पाये!!

मीठे लहज़ोंं का
ठंडा सत्कार
अपनों की आंखों का
तिरस्कृत वो प्यार
चश्मा धुधंलाये
यूं ही बार बार

सुकून भरी चाय
अब तक ना पी पाये!

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

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