गौण के
बेहद मामूली और गौण हूँ
इल्म है मुझे की मैं कौन हूँ ।
मुझे पता है औकात मेरी
इसलिए तो रहता मौन हूँ ।
गलतफहमि आप न पालें
मैंने कब कहा,मै फिरौन हूँ ।
वक्त बहुत खुश है मुझ से
नज़रों में उसके मैं गौण हूँ ।
दहशत में हैं लिखने वाले
क्या मैं साहित्यक डौन हूँ ?
-अजय प्रसाद