Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Mar 2021 · 1 min read

हकीकत ए दास्तान

**** हकीकत ए दास्तान *****
*************************

हकीकत ए दास्तान बहुरंगी है,
जिंदगी पग पग पर सदैव ठगी है।

किस पर दोष मंढे तारीकियों का,
आग पड़ोस की मंडेर पर लगी है।

गैरों से नहीं है कोई तनिक रंज,
चोट अपनों से हृदय पर लगी है।

छोड़ दिया करना किए पर मलाल,
सेवा करना खुदा की बंदगी है।

तज दिया है दुखों पर रोना धोना,
आस थोड़ी सी जीने की जगी है।

खुशी से कट जाती हैं कठिन राहें,
अगर राहगीरों की भीड़ लगी है।

मनसीरत ना सह सकेगा दिए गम,
सहनशक्ति सहने की मरने लगी है।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Loading...