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15 Feb 2021 · 1 min read

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शायद किसी दूर जहाँ मे,
मेरी हसि खो गई है //

शायद पत्थरो के बीच दबी,
मेरी चीख खो गई है //

अब सुनता हु खुद की आवाज,
शायद कही दूर आसमा… मे मेरी मस्ती खो गई है //

ढूंढ आया जहाँ मे सुकू….,
शायद मुझमे ही मेरी दुनिआ खो गई है //
शायद मुझमे ही मेरी दुनिआ खो गई है //

:~ श्रेयस सारीवान

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