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21 Nov 2020 · 1 min read

आनंद

आनंद अंतर्मुखी होता है जिसमें असीम सुख छिपा होता है।मन चंचल है जो पूर्ण वेग से इधर ऊधर भागता है।कहीं तृप्ति नहीं!ना पूर्णता है ना प्रकाश पर फिर भी मन स्निग्ध है अलंकृत है।मकड़ी की मुद्रा में विशेष आकर्षण होता है जिसमें फंसने वाला जीव विवश होता है और दिग्भ्रमित भी!
मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 347 Views

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