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21 Nov 2020 · 1 min read

मेरी खता माफ न हो

प्यार की धुंध जमे, मौसम , नज़र का साफ न हो।
हवा ठण्डी चले या गरम मगर कभी खिलाफ न हो।
सजा मिले जो तेरी झील सी आँखों में डूब मरने की
मैं खता करूँ दुआ भी करूँ मेरी खता माफ न हो।

संजय नारायण

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