Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Nov 2020 · 1 min read

एक उम्मीद किरन की वो यहाँ ले आए

एक उम्मीद किरन की वो यहाँ ले आए
रात के बाद जो सूरज के उजाले आए

सन्दली छाँव थी उस धूप में पेड़ों की जहाँ
वो थकन थी कि वहाँ पाँव मुझे ले आए

कोई ज़ख़्मों के लिए लाया ही नहीं मरहम तक
जितने आए थे फ़क़त देखने वाले आए

फिर भी ज़ारी ही रहा अपना सफ़र मंज़िल तक
जबकि कितने ही मेरे पाँवों में छाले आए

हादसा जो भी हुआ जबकि बताया था वही
सच नहीं उनमें था जो छप के रिसाले आए

इश्क़ के अब्र तो छाए थे हमारे दिल पर
उस पे फिर आप भी ज़ुल्फ़ों की घटा ले आए

आज इज़हारे मोहब्बत का यकीं था हमको
आप नज़रों में मगर फिर से हया ले आए

सामने आप थे हम थे या कभी कुछ भी नहीं
बारहा इश्क़ में मंज़र ये निराले आए

लोग ‘आनन्द’ उठा लाए बहुत से सामाँ
हम मगर साथ में बस माँ की दुआ ले आए

– डॉ आनन्द किशोर

Loading...