Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2020 · 2 min read

जरूर पढें – जीवन के लिए खर्च

– पत्नी ने कहा – आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…
पति- क्यों??
उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…
पति- क्यों??
पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…

पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…

पत्नी- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..

पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…

पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!

पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…

पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ… खामख्वाहपाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…

पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??
तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा…

पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?

बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..

पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?

बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…

पति- अच्छा!! मतलब क्या किया 500 रूपए का??

बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…

पति- 500 रूपए में इतना कुछ???

वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा…उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है…
लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे…

“जीवन के लिए खर्च” या
“खर्च के लिए जीवन” का
नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया…….!!!!!
….

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 255 Views

You may also like these posts

और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
Sonu sugandh
साथ बिताए कुछ लम्हे
साथ बिताए कुछ लम्हे
Chitra Bisht
कल है हमारा
कल है हमारा
singh kunwar sarvendra vikram
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हर इन्सान परख रहा है मुझको,
हर इन्सान परख रहा है मुझको,
Ashwini sharma
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रवाह
प्रवाह
Lovi Mishra
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
Kumar Kalhans
ग़रीबी में भली बातें भी साज़िश ही लगा करती
ग़रीबी में भली बातें भी साज़िश ही लगा करती
आर.एस. 'प्रीतम'
राह के कंकड़ अंधेरे धुंध सब छटती रहे।
राह के कंकड़ अंधेरे धुंध सब छटती रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
भक्ति गाना
भक्ति गाना
Arghyadeep Chakraborty
झील का पानी
झील का पानी
Kanchan Advaita
मैं और मेरे प्रभु
मैं और मेरे प्रभु
ललकार भारद्वाज
अहंकार
अहंकार
लक्ष्मी सिंह
हो रहा है चर्चा हमारा चारों तरफ़,
हो रहा है चर्चा हमारा चारों तरफ़,
Jyoti Roshni
प्रेम.....
प्रेम.....
शेखर सिंह
कितना अजीब ये किशोरावस्था
कितना अजीब ये किशोरावस्था
Pramila sultan
पाप के छेदों की एम्बाडरी (रफु ) के लिए एक पुस्तक है। जीसमे
पाप के छेदों की एम्बाडरी (रफु ) के लिए एक पुस्तक है। जीसमे
*प्रणय*
जिंदगी को बोझ मान
जिंदगी को बोझ मान
भरत कुमार सोलंकी
आयी बरखा हो गए,
आयी बरखा हो गए,
sushil sarna
शिर्डी साईं
शिर्डी साईं
C S Santoshi
जियो तुम #जिंदगी अपनी
जियो तुम #जिंदगी अपनी
MEENU SHARMA
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3362.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3362.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
टूटकर, बिखर कर फ़िर सवरना...
टूटकर, बिखर कर फ़िर सवरना...
Jyoti Khari
No Second Option
No Second Option
पूर्वार्थ
*रामराज्य आदर्श हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)*
*रामराज्य आदर्श हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)*
Ravi Prakash
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
हरवंश हृदय
Loading...