सिकुड़ती दुनियां
ये क्या हो गया है
संसार ए चमन को
हर एक फूल खड़ा है
तोड़ने हर एक फूल
के बदन को
जिश्म-जानों की
कीमत
हर दिन कम हो
रही है
रहस्यों की दुनिया
अब आगे खड़ी हो
रही है ।
हर एक कौने पर
इंसान बुत बनकर
खड़ा है
हर एक कौने पर
खून बिखरा पड़ा है
दिलों की गलियां क्यों
छोटी हो रही है.?
स्वर्ग की आवाज़
हर ओर
उठ रही है
आत्मा की
आवाज़ अब
गहरी दब रही है
अहम की नदियां
उफ़ान दे रही है
गरीबी-भूख
मुँह फाड़े खड़ी है
जंगो की महफ़िलें
रोशन हो रही है
जीवन से ज्यादा
हथियारों की ख़रीद
फ़रोख्त हो रही है
भविष्य की दुनिया
अपने में खोकर
संकरी हो रही है……