आज़ाद गज़ल
अपनी मक़बूलियत पे भी ध्यान देतें हैं
इसलिए तो वो विवादित वयान देतें हैं।
कहीं जंग न लगे लफ्जों के तलवार में
उन्हें वो अक़सर मज़हबी म्यान देतें हैं।
जब कभी भी जनता जाग जाती है यारों
उनकों धर्म और पाखंड का ज्ञान देतें हैं ।
भीड़ चाहे हो किसी धर्म या जाति का
भड़कने लिये वक़्त एक समान देतें हैं।
लगता है कि तू भी जान गंवाएगा अजय
ऐसे लोगों को वो तोह्फ़े में शमशान देतें हैं।
-अजय प्रसाद