आज़ाद गज़ल
गर सब बुरे हैं तो अच्छा क्या है
अबे तू इतना सोंचता क्या है।
नुक्स निकालता है हर बात मे
अपने आप को समझता क्या है।
तेरे जैसे कितने आए और गए
तेरी बातों से फ़र्क पड़ता क्या है।
जंग लग गई है ज्म्हुरियत में
इक वोट के सिवा जनता क्या है।
क्या उखाड़ लोगे अजय गजलों से
लिखने के अलावे तुम्हें आता क्या है
-अजय प्रसाद