Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
5 Oct 2020 · 1 min read

बीत गया सदी का बचपन

कालचक्र चल रहा निरंतर
बीत गया सदी का बचपन
कब जागेगा युवा जोश?
क्या जब होंगे पचपन ?
कितने हैं अरमान दिलों में?
कितने हुए हैं पूरे?
कितने पूरे हुए लक्ष्य ?
कितने रहे अधूरे?
क्या काम अभी बाकी है?
कितने हैं संकल्प जो इस सदी में किए जाने हैं?
कितने हैं प्रयास जो सफल हो जाने हैं?
युवा हो रही सदी, यक्ष प्रश्नों को लिए खड़ी है।।
कब जड़ता टूटेगी मन की, चिंतन करने की घड़ी है।।
कब जाएगा आतंक का साया?,
कब दूर अशिक्षा होगी? कौन करेगा दूर प्रदूषण?,
कब दूर गरीबी होगी?
भ्रष्टाचार मुक्त कब होंगे?
सपने क्या सपने ही होंगे?
क्या अच्छे दिन आएंगे???
या फिर मात्र स्लोगन होंगे?
आओ पूछें अपने दिल से, हम कितने उपयोगी होंगे?
घर परिवार देश दुनिया को, नई सदी में हम क्या देंगे?

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Loading...