आज़ाद गज़ल
आई सी यू में है समाज क्या करें
सूझता नहीं है इलाज़ क्या करें ।
नये दौर के बड़े स्मार्ट बच्चें हैं
मानते नहीं रिवाज़ क्या करें ।
अब गानों में गालियाँ हैं ज़रुरी
फ़िर बेबज़ह रियाज़ क्या करें।
खोखले ज़ज्बात हैं बड़े ज़र्खेज़
खलुस भरें दिलसाज़ क्या करें ।
तय कर दिया है अंजाम रब ने
जिंदगी बता आगाज़ क्या करें।
इश्क़ में वो मज़ा ही नहीं रहा
भला आशिक मिज़ाज क्या करें।
-अजय प्रसाद