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29 Aug 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

उम्रभर दर ब दर
ज़िंदगी बेखबर ।

मंजिलें हैं जुदा
रास्ते हम सफर ।

मन्नते है खफ़ा
हर दुआ बेअसर ।

क्या पता क्या खता
चल रहा शूल पर ।

सच बता क्या हुआ
क्या मैं था भूल पर ।

जुर्म है इश्क़ भी
सोंच कर प्यार कर

हार सकता नहीं
है अजय, तू अगर ।
-अजय प्रसाद

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