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28 Aug 2020 · 1 min read

हमीं बैठे रहे देर तलक

हमीं बैठे रहे बड़ी देर तलक
उनको न आना था न वो आए

उस पुर नूर सुबह की बात ही अलग
खिड़की से कोई फूल वो जब दे जाए

हम उठते गिरते रहे दरियाई लहरों की तरह
किसी को फिक्र हो गर मेरी तो संभाल जाए

~ सिद्धार्थ

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