Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Aug 2020 · 1 min read

नन्हें-मुन्ने प्यारे बच्चे...

नन्हें-मुन्ने प्यारे बच्चे
भोले-भाले मन के सच्चे
रोज हंसते और खेलते हैं
मीठी भाषा ही बोलते हैं
करते रहते हैं सैर सपाटा
घर के आँगन को महकाते
इनको देख फूल खिल जाते
देखकर इनका प्यारा बचपन
बूढ़े दादा भी मुस्काते

स्वरचित – रमाकान्त पटेल
झांसी , उत्तर प्रदेश

Loading...