आज़ाद गज़ल
गुस्सा थूक,अब जाने दे
मसलों को मुस्कुराने दे ।
सदियों से होता आया है
होता है जो हो जाने दे ।
दिल जला न मुँह फूला
दौर है ये गुज़र जाने दे ।
प्यास अपनी संभाले रख
इरादों पे पानी फिराने दे ।
हौसले अभी जिन्दा रख
नाकामी को आज़माने दे ।
वक्त किसका हुआ कभी
वक्त को अभी इतराने दे ।
-अजय प्रसाद