आज़ाद गज़ल
शोर में भी खामोशी है
हर तरफ़ ही मायूसी है ।
वैसे तो सब हैं मशगूल
चेहरे पे इक उदासी है ।
हासिल है उसे तरक्की
करता जो चापलूसी है ।
लबों पर ताले है लेकिन
दिल में इक सरगोशी है ।
उन से नज़रें मिली जबसे
यार अज़ब सी मदहोशी है
-अजय प्रसाद
शोर में भी खामोशी है
हर तरफ़ ही मायूसी है ।
वैसे तो सब हैं मशगूल
चेहरे पे इक उदासी है ।
हासिल है उसे तरक्की
करता जो चापलूसी है ।
लबों पर ताले है लेकिन
दिल में इक सरगोशी है ।
उन से नज़रें मिली जबसे
यार अज़ब सी मदहोशी है
-अजय प्रसाद