Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
11 Jul 2020 · 1 min read

"जिंदगी की बंद किताबों को"

कैसे समझाऊ तुझे, दिल के जज्बातों को.
खोल के रख दिया है, जिंदगी की बंद किताबों को.
गीले, शिकवे सब शिकायते तुझी से है.
कैसे बताये ये सारी खुशियाँ,मेरी इनायत तुझी से है.
गमे महफिले, वीरान कर जाती है.
जिंदगी बेरंग, बेजुबा, बेजान कर जाती है.
किन लब्जो मे बया करो, अब मे अपने हालातो को.
कैसे समझाऊ तुझे,दिल के जज्बातों को.
खोल के रख दिया है, जिंदगी की बंद किताबों को.
मे किया चाहती हु, एक बार जानने की कोशिश तो करते.
पूरा करो ना करो जिंदगी का फ़साना, दो कदम साथ तो चलते.
चाह कर भी भूल नहीं पाते हम, तेरी बेरुखी वाली मुलाकातों को.
कैसे समझाऊ तुझे, दिल के जज्बातों को.
खोल के रख दिया है, जिंदगी की बंद किताबों को.
हर वक्त मेरी तरह, तुझे समझयेगा कौन.
तेरी गलतियों को भी, मुस्कुरा के गले लगाएगा कौन.
मैंने तो बस एक पल का साथ चाहा था.
हाथो मे हाथ और मुद्दतों के बाद, एक सुकून भारी रात चाहा था.
लेकिन लगता नहीं कभी ख़त्म होगा सिलसिला तेरी शिकायतो का.
कैसे समझाऊ तुझे, दिल के जज्बातों को,
खोल के रखा दिया है, जिंदगी की बंद किताबों को.

Loading...