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18 Jun 2020 · 1 min read

तुम और मैं***1

धुली – धुली, खिली – खिली
निर्मल सी, पूनम की
चांदनी तुम……
अपनी दोनों बाहों को
फैलाए, हौले से
मुस्कुराकर…..
जब मुझे
अपने पास बुलाती हो…
तो मैं….समुद्र सा
खुद को समेट
खिंचा चला आता हूं
तुम्हारे पास….
मिलने को व्याकुल
पाने को आतुर….
अपना सब
अहम त्याग, बिल्कुल
निसहाय और निर्बल….

Language: Hindi
7 Likes · 6 Comments · 540 Views

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