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28 Apr 2020 · 1 min read

पूंछ टूटी तो आदमी हो जाओगे

पेड़ पर उछलते कूदते बंदर की पूंछ,
जब डालियों में फसी
तो बंदरिया जोर से हंसी
ओ मेरे हमजोली
अपनी पूंछ बचाओ
ये टूटी तो आदमी हो जाओगे
अपने साथ हमें भी मरवाओगे
पेड़ काटोगे जंगल उजाड़ोगे
पर्यावरण बिगाड़ोगे
ध्यान रखो पूंछ ही अपनी पहचान है
पूंछ ही अपनी संस्कृति
यह टूटी तो आदमी हो जाओगे
अपने साथ हमें भी मरवाओगे
एक दिन दो आदमी बतिया रहे थे
हमें अपना पूर्वज बता रहे थे
मुझे तो विश्वास नहीं हुआ उनकी बातों पर
क्योंकि इन पर तो राम ने भी भरोसा नहीं किया
जब लंका पर की थी चढ़ाई
तो वानर भालूओं की फौज ही क्यों बनाई
क्या आदमियों की कमी थी

Language: Hindi
11 Likes · 4 Comments · 335 Views
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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