Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2020 · 1 min read

हो जाए बदनाम चलो ऐसा काम करते हैं

हो जाए बदनाम चलो ऐसा काम करते है
उसूलों को बेचकर खुदकों नीलाम करते है।

ख़बर झूठी हो मगर सबको बड़ी सच्ची लगे
चलो अफ़वाह फ़ैलाने का इंतिज़ाम करते है।

हमारी ख़बरों की आतिश में कितने घर जले
पर हमेशा ज़िम्मेदारी औरों के नाम करते है।

नाम हो क़रार पर किसीका भी मगर हम तो
ख़ास एक नाम है जिस पर इल्ज़ाम करते है।

सिर्फ़ हम ही नहीं हैं जो आग चुपके लगाते हैं
लोग सोशल मीडिया पे यहीं तो काम करते हैं।

जॉनी अहमद ‘क़ैस’

2 Likes · 2 Comments · 535 Views

You may also like these posts

मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
यह कैसी विडंबना है, जहाँ सत्य का अभाव है, ताड़का की प्रवृत्त
यह कैसी विडंबना है, जहाँ सत्य का अभाव है, ताड़का की प्रवृत्त
पूर्वार्थ
आदमी के भीतर
आदमी के भीतर
Kapil Kumar Gurjar
मूर्छा में जीते जीते जीवन को नर्क बना लिया।
मूर्छा में जीते जीते जीवन को नर्क बना लिया।
Ravikesh Jha
3780.💐 *पूर्णिका* 💐
3780.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)*
*सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
हौसला रखो
हौसला रखो
Dr. Rajeev Jain
- भूतकाल में जिसने मुझे ठुकराया वर्तमान में मेरी देख सफलता दौड़ी दौड़ी आ गई -
- भूतकाल में जिसने मुझे ठुकराया वर्तमान में मेरी देख सफलता दौड़ी दौड़ी आ गई -
bharat gehlot
प्री वेडिंग की आँधी
प्री वेडिंग की आँधी
Anil chobisa
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Dr. Alpana Suhasini
" विनाशक "
Dr. Kishan tandon kranti
थ्हूं गंगा थ्हूं गोमती, थ्हूं जमना जळ धार।
थ्हूं गंगा थ्हूं गोमती, थ्हूं जमना जळ धार।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
संगत का प्रभाव
संगत का प्रभाव
manorath maharaj
*जीत का जश्न*
*जीत का जश्न*
Santosh kumar Miri
मैं हर पल हर कड़ में खुशी ढूंढता हूं
मैं हर पल हर कड़ में खुशी ढूंढता हूं
Ranjeet kumar patre
अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजे.
अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजे.
MEENU SHARMA
स्वाधीनता के घाम से।
स्वाधीनता के घाम से।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
अब चिंतित मन से  उबरना सीखिए।
अब चिंतित मन से उबरना सीखिए।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मेरा सपना
मेरा सपना
Adha Deshwal
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
"मेरी आज की परिकल्पना "
DrLakshman Jha Parimal
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
दिखावे के दान का
दिखावे के दान का
Dr fauzia Naseem shad
मै घट हूँ घटनाओ का
मै घट हूँ घटनाओ का
C S Santoshi
खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
Ashwini sharma
"प्यास धरती की"
राकेश चौरसिया
रावण तो अब भी ज़िन्दा है !
रावण तो अब भी ज़िन्दा है !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
.
.
*प्रणय*
आधार निर्माण का कार्य ईश्वर उसी व्यक्ति  को देते हैं, जिसका
आधार निर्माण का कार्य ईश्वर उसी व्यक्ति को देते हैं, जिसका
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...