Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2020 · 2 min read

भूख भी ख़ुद्दारी से हारी

दिवस का अंतिम प्रहर ,
घर की दहलीज भी हार चुकी, बाट जोह कर ।
जाने को तैयार है रवि भी,
किरण- रश्मियां भी असफल रहीं ,
ला न सकीं आशा खोजकर।
लॉक डाउन के चलते टूटे किबाड़ों से झांकती वो एक टक।
पीछे से आकर पल्लू खींच खींच बेचारा छोटू गया थक।
मुनिया बिना पूछे बार बार पतीला झांक जाती है।
मां उसकी और वह मां की बेवशी भांप जाती है।
चुपचाप आकर छोटू को ले जाती है फुसलाने।
आ बैठ मैं तुझको ले चलती हूं
अपने स्कूल दाल भात खिलाने।
चल जल्दी ला मेरा बस्ता दोनों संवरकर जाएंगे।
चल हट, पगली !मुझे उल्लू बनाती है।
कोरो ना फैला है,सब है बन्द काहे भूल जाती है।
अच्छा चल मैं तुझे कुछ और दिखाती हूं।
बंद कर आंखे सपने में तुझे खाना खिलाती हूं।
मुझे स्वप्न में नहीं सच में खाना है।
छोड़ दो सारी चतुराई, बहुत हुआ बहाना है।
आंखों में चमक सी आई ,पापा पड़े दिखाई।
मगर मां अब भी निराश होकर क्या तलाशती है।
उसकी दृष्टि खाली थैला ,खाली पेट ,
लाचार नज़रों को झांकती है।
जो सुन रही थी सुबह से, प्रेरित हो उसी से ,
प्रश्नों का जवाब मांगती है।
क्या हुआ फिर से खाली हाथ ,मिला नहीं राशन,
कुछ भी नहीं कर सकते एकसाथ धांगती है।
रोकर बेचारी बोली, कुछ तो वजह होगी,
पर मुझसे मां की आत्मा जवाब मांगती है।
भरके वो सिसकी बोला, मुझसे न ऐसा होगा ,
राशन के साथ मेरी फ़ोटो भी ले रहे थे।
पेमेंट न मिला है , राशन ख़तम है सच है ,
किन्तु न मैं भिखारी , दाता वो क्यूं दे रहे थे।
माता पिता की बातें,
चुपचाप चुप्पी साधे बच्चे वो सुन रहे थे।
छोटू यूं साहस भरके , क्षुब्धा से मुक्त होकर।
पापा कहो बड़ों से, माना समय कठिन है ,
जिंदा अभी है हममें, खुद्दारी वो हमारी,
करते हैं क्यों दिखावा वो दानवीर होकर।
रेखा जो दे रहे हैं ,उनसे कहो तो जाकर
आखिर क्यों काम ऐसा वो कर रहे हैं।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 729 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सुनाओ मत मुझे वो बात , आँसू घेर लेते हैं ,
सुनाओ मत मुझे वो बात , आँसू घेर लेते हैं ,
Neelofar Khan
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
साँझ का बटोही
साँझ का बटोही
आशा शैली
जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
shabina. Naaz
*महान आध्यात्मिक विभूति मौलाना यूसुफ इस्लाही से दो मुलाकातें*
*महान आध्यात्मिक विभूति मौलाना यूसुफ इस्लाही से दो मुलाकातें*
Ravi Prakash
करता हूँ, अरदास हे मालिक !
करता हूँ, अरदास हे मालिक !
Buddha Prakash
कलम और किताब की लड़ाई
कलम और किताब की लड़ाई
Shekhar Chandra Mitra
*क्या देखते हो*
*क्या देखते हो*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बेकाबू हैं धड़कनें,
बेकाबू हैं धड़कनें,
sushil sarna
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
Rj Anand Prajapati
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
भारत देश
भारत देश
Rahul Singh
खुद के वजूद को।
खुद के वजूद को।
Taj Mohammad
लोकशैली में तेवरी
लोकशैली में तेवरी
कवि रमेशराज
"बड़ी चुनौती ये चिन्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
असहाय वेदना
असहाय वेदना
Shashi Mahajan
किसे फर्क पड़ता है
किसे फर्क पड़ता है
Sangeeta Beniwal
********शहीदे आज़म भगत सिंह********
********शहीदे आज़म भगत सिंह********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बेगाना वक्त
बेगाना वक्त
RAMESH Kumar
When you remember me, it means that you have carried somethi
When you remember me, it means that you have carried somethi
पूर्वार्थ
मन मसोस
मन मसोस
विनोद सिल्ला
नारी , तुम सच में वंदनीय हो
नारी , तुम सच में वंदनीय हो
Rambali Mishra
😘अमर जवानों की शान में😘
😘अमर जवानों की शान में😘
*प्रणय प्रभात*
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
नफ़रतें बेहिसाब आने दो।
नफ़रतें बेहिसाब आने दो।
पंकज परिंदा
गुमनाम ईश्क।
गुमनाम ईश्क।
Sonit Parjapati
भज ले भजन
भज ले भजन
Ghanshyam Poddar
मुझको चाहिए एक वही
मुझको चाहिए एक वही
Keshav kishor Kumar
कई बार अंधकार इतना गहरा होता है कि खुद जुगनू बनना तो दूर कही
कई बार अंधकार इतना गहरा होता है कि खुद जुगनू बनना तो दूर कही
SATPAL CHAUHAN
तेरे दिल तक
तेरे दिल तक
Surinder blackpen
Loading...