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16 Mar 2020 · 1 min read

टूट गई माँ की ममता

गिरकर उठना
उठकर गिरना
गिरकर उठना
उठकर चलना
.
दर्शक का हँसना
खुशी में नहीं समाती है,
*अपाहिज़ नहीं हैं *वह,
यह बात
*पक्की जब हो जाती है,
बार-बार सीने से उसे लगाती है,
सिर्फ़ प्रेम और प्रेम हो जाती है.
.
बडी खिन्न हुई दंग
अफसोस वह जताती है,
मार्गदर्शन में रह गई कहीं कमी,
छीन लेगी दुनिया बात-2 पर,
गोद वह जब खाली पाती है.

बात बात पर पूछता वह,
मेरी ये चीज़ वो सामान कहाँ हैं,
मम्मी डूबी प्रेम में
उसी घर में से झट खोज,
सुपुर्द उसे करती है.

कर नहीं पा रहा वह खुद के काम,
दुनिया है बड़ी बे-ईमान,
पग पग पर लेती है परीक्षा,
अपाहिज़ उसे ठहराने को,
.
टूट गई माँ की ममता,
देखकर बच्चों की क्षमता,

वैद्य महेन्द्र सिंह हंस

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